इस योजना के अनुसार, इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
हर साल ग्रामीण मजदूरों को कम-से-कम 100 दिन का गारंटीड गैर कौशल हाथ रोज़गार देना, ताकि ग्रामीण परिवार अपना गुजारा कर सके।
नरेगा (NREGA) योजना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की रोज़ी-रोटी का एक स्रोत मौजूद है।
इस योजना का उद्देश्य, भारत में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत बनाना भी है।
ग्रामीण वर्ग के विकास के साथ-साथ उन्हें आवश्यक जीविका सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, और रोज़गार दिलाने के लिए देश भर में मनरेगा (MGNREGA) की स्थापना की गई है।
इसके अलावा, गारंटीड पारिश्रमिक रोज़गार देकर स्थानीय अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाया जा सकता है। सरकार का लक्ष्य, समाजिक रूप से वंचित लोगों या अनुसूचित जनजातियों (ST), अनुसूचित जातियों (SC), और महिलाओं की हालत में सुधार करना और उन्हें सशक्त बनाना भी है।
पारिश्रमिक रोज़गार कार्यक्रम के तहत उठाए गए नए कदम
नरेगा (NREGA), भारत सरकार (GOI) द्वारा चालू किए गए सबसे बड़े पारिश्रमिक रोज़गार कार्यक्रमों में से एक है। यह लोक-केन्द्रित है और इसकी पहुँच अन्य अधिकांश योजनाओं से काफी बेहतर है।
यह योजना, ग्रामीण मजदूरों को पारिश्रमिक रोज़गार की गारंटी देती है। यह मजदूरों के काम की मांग के आधार पर संचालित होता है।
सरकार ने सम्पूर्ण पारिश्रमिक व्यवस्था में कोई समस्या होने पर मुआवजे और भत्ते के लिए कई इंतजाम किए हैं।
राज्य सरकारों को रोज़गार देने के लिए इंसेंटिव भी दिया जाता है जिसके तहत सामग्रियों की लागत का 75% और श्रम लागत का 100%, भारत सरकार देती है।
यदि कोई राज्य सरकार, ग्रामीण मजदूरों को रोज़गार देने में असफल हो जाती है तो बेरोजगारी भत्ते की लागत, उन्हें ही उठानी पड़ती है।
चूंकि ग्राम पंचायतों को इस मनरेगा (MGNREGA) योजना को देश भर में लागू करना पड़ता है, इसलिए उनके द्वारा लागत की दृष्टि से 50% प्रोजेक्ट्स को लागू करना जरूरी होता है।
मनरेगा (MGNREGA) में एक सोशल ऑडिट पहलू भी दिखाई देता है जहाँ प्रोजेक्ट्स को लागू करने वाली पार्टियाँ, लगातार जांच और निरीक्षण के दायरे में रहेंगी।
केन्द्रीय रोज़गार गारंटी परिषद (CEGC), एक संसद सत्र में भारत सरकार में लागू की गई किसी भी परियोजना के परिणाम के सम्बन्ध में एक वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करती है। उसी तरह, राज्य रोज़गार गारंटी परिषदों (SEGC) को भी अपने-अपने राज्य सरकारों के सामने एक रिपोर्ट पेश करनी पड़ती है जिसे सभी राज्य की विधानसभाओं में पेश करना पड़ता है।
मनरेगा (MGNREGA) के योग्यता सम्बन्धी मानदंड
मनरेगा (MGNREGA) योजना के योग्यता सम्बन्धी मानदंड निम्नलिखित हैं:
यह योजना, केंद्र सरकार द्वारा शासित, देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों पर लागू होती है।
व्यक्ति, भारत का नागरिक होना चाहिए।
मनरेगा (MGNREGA) योजना के तहत नामांकित होने के लिए कम-से-कम 18 साल का होना जरूरी है।
व्यक्ति, अकुशल मजदूरी करने के लिए तैयार होना चाहिए।
मनरेगा (MGNREGA) योजना के तहत नामांकित होने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति, एक स्थानीय परिवार का हिस्सा होना चाहिए।
नरेगा (NREGA) योजना के तहत आवेदन करने का तरीका क्या है?
नरेगा (NREGA) योजना के तहत आवेदन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
आवेदकों को अपना आवेदन या तो लिखित बयान के रूप में या मौखिक रूप से ग्राम पंचायत के वार्ड मेंबर के पास करना चाहिए। कार्यक्रम कार्यालय और कोई राज्य सरकार अधिकारी। राज्य सरकार के ऑथराइजेशन के आधार पर, टेलीफोन, इंटरैक्टिव वॉयस रिस्पोंस सिस्टम, मोबाइल, वेबसाइट, कॉल सेंटर या किसी कियोस्क सेट-अप के माध्यम से आवेदन किया जा सकता है।
यदि आवेदन, लिखित रूप में किया गया है तो जॉब कार्ड रजिस्ट्रेशन नंबर, वह तारीख जब से काम की जरूरत है और काम के दिनों की संख्या जैसे कुछ ख़ास विवरणों की जरूरत पड़ती है। आवेदक, हाथ से लिखा हुआ आवेदन या प्रिंटेड प्रोफोर्मा सबमिट कर सकते हैं जिसे ग्राम पंचायत से मुफ्त में प्राप्त किया जा सकता है।
ग्राम पंचायतों को वार्ड मेम्बर्स, स्कूल टीचर्स, सेल्फ-हेल्प ग्रुप्स, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, ग्रामीण स्तरीय राजस्व पदाधिकारियों, महात्मा गांधी नरेगा (NREGA) लेबर ग्रुप्स और कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSC) को मांग का आंकलन करने के लिए नियमित आधार पर कार्य आवेदन प्राप्त करने के लिए पदनामित करना पड़ता है।
ग्रामीण मजदूरों को रोज़गार के लिए आवेदन करते समय ग्राम पंचायत कार्यालय में मौजूद रहना पड़ता है। ग्राम रोज़गार सहायक, रोज़गार से संबंधित सारे विवरण रिकॉर्ड करेगा।
एडवांस में कार्य आवेदन किए जा सकते हैं, और सरकार ने एक व्यक्ति के द्वारा एक से अधिक आवेदन करने का प्रावधान भी किया है। आवेदक को यह सुनिश्चित करना होगा कि एक से अधिक कार्य समय अवधि एक ही समय में नहीं होनी चाहिए। रोज़गार मांगे जाने पर, व्यक्ति साल में एक से अधिक समय अवधि के लिए भी आवेदन कर सकता है।
ग्रामीण मजदूरों के पास कई आवेदकों को शामिल करके संयुक्त आवेदन करने का प्रावधान भी है। इसे एनजीओ और अन्य ऑथराइज्ड संस्थानों के माध्यम से या खुद से भी किया जा सकता है।
नरेगा (NREGA) योजना के तहत रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन
ग्राम पंचायत, आवेदक को एक चिट्ठी या एक सरकारी नोटिस के माध्यम से सूचित करेगा जब उन्हें काम दिया जाएगा। यदि आवेदक ने मोबाइल नंबर दिया है तो ग्राम पंचायत की तरफ से उस नंबर पर एक सूचना एसएमएस भेजा जाएगा।
कार्यक्रम अधिकारी, रोज़गार प्रक्रिया की देखरेख करेगा और किए गए आवेदनों के सम्बन्ध में ग्राम पंचायत से जानकारी प्राप्त करेगा। ग्राम पंचायत, कार्यक्रम अधिकारी को उन लोगों की संख्या बताएगा जिन्हें रोज़गार मिला है और जिन्हें रोज़गार नहीं मिला है। यदि किसी ग्राम पंचायत से किसी आवेदक को कोई काम नहीं मिला है तो पड़ोसी ग्राम पंचायत से काम माँगा जा सकता है। इस प्रक्रिया को नरेगासॉफ्ट (NREGASoft) द्वारा सुगम बनाया जाएगा।
मनरेगा (MGNREGA) जॉब कार्ड क्या है?
मनरेगा (MGNREGA) जॉब कार्ड (JC), महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) योजना के तहत स्थानीय ग्राम पंचायत में रजिस्ट्रेशन कराने वाले आवेदक को जारी किया जाने वाला दस्तावेज है। नरेगा (NRGEA) जॉब कार्ड, इस योजना के तहत नामांकित व्यक्ति के लिए एक पहचान प्रमाण की भूमिका भी निभाता है।
इस कार्ड में, रजिस्टर्ड व्यक्ति से संबंधित सारे विवरण रहते हैं। इसमें व्यक्ति का नाम, नरेगा (NREGA) रजिस्ट्रेशन नंबर, परिवार का विवरण, इत्यादि शामिल रहता है। यह जॉब कार्ड, इस योजना के तहत व्यक्ति की हकदारी के प्रमाण की भूमिका भी निभाता है। मनरेगा (MGNREGA) जॉब कार्ड का इस्तेमाल, बैंक में अकाउंट या पोस्ट ऑफिस में सेविंग्स अकाउंट खोलने के समय एक मान्य केवाईसी दस्तावेज की तरह भी किया जा सकता है।
नरेगा (NREGA) जॉब कार्ड के लिए आवेदन करने का तरीका
चूंकि देश के ग्रामीण क्षेत्र, पब्लिक डोमेन से अच्छी तरह कनेक्टेड नहीं हैं, इसलिए मनरेगा (MGNREGA) जॉब कार्ड के लिए आवेदन प्रक्रिया, वर्तमान में पूरी तरह ऑफलाइन है। लेकिन, ऑफिशियल मनरेगा (MGNREGA) वेबसाइट से लोगों को खुद आवेदन फॉर्म डाउनलोड करने की इजाजत है।
दूसरी तरफ, एक आवेदक सीधे स्थानीय ग्राम पंचायत में जाकर आवेदन फॉर्म ले सकता है। आवेदन एक सादे कागज़ में भी सबमिट किया जा सकता है। फॉर्म को निम्नलिखित जानकारी के साथ अच्छी तरह भरना होता है:
आवेदक का नाम
आवेदक की उम्र
आवेदक का लिंग
गाँव का नाम
ग्राम पंचायत का नाम
ब्लॉक का नाम
आवेदक की केटेगरी (एससी,एसटी, आईएवाई, या एलआर) से संबंधित विवरण
आवेदक की फोटो
आवेदक का हस्ताक्षर या अंगूठे की छाप
व्यक्ति को उपरोक्त जानकारी के अलावा पहचान और निवास के प्रमाण के रूप में निम्नलिखित दस्तावेज भी देने पड़ेंगे:
राशन कार्ड
पैन कार्ड
वोटर आईडी कार्ड
आधार कार्ड
नरेगा (NREGA) जॉब कार्ड, आम तौर पर, आवेदन फॉर्म सबमिट करने के दिन से 15 दिन के भीतर जारी किया जाता है।
नरेगा (NREGA) के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
बेरोजगारी भत्ता क्या है ?
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) योजना में एक ख़ास नियम है जिसके आधार पर उन आवेदकों को एक भत्ता मिलेगा जिन्होंने इस योजना के तहत काम के लिए आवेदन किया है। इस भत्ते को बेरोजगारी भत्ते के नाम से भी जाना जाता है। यह भत्ता तब मिलता है जब प्राधिकारी, आवेदक के द्वारा काम के लिए आवेदन करने के दिन से 15 दिन के भीतर उसे रोज़गार देने में असफल हो जाते हैं।
मनरेगा (MGNREGA) योजना के अनुसार किस तरह के मजदूर , स्पेशल केटेगरी में आते हैं ?
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम के अनुसार, निम्नलिखित मजदूर, स्पेशल केटेगरी में आते हैं -
विकलांग लोग
घुमंतू जनजाति समूह
आदिम जनजाति समूह
अनधिसूचित जनजातियाँ
महिलाएं - स्पेशल कंडीशन के तहत
वरिष्ठ नागरिक - 65 साल से ज्यादा उम्र के
आतंरिक रूप से विस्थापित लोग
एचआईवी पॉजिटिव लोग
मुक्त बंधुआ मजदूर
रोज़गार दिवस क्या है ?
रोज़गार दिवस, हर महीने हर वार्ड में या ग्राम पंचायत स्तर पर आयोजित किया जाता है। इन कार्यक्रमों का आयोजन, वार्ड मेंबर द्वारा किया जाता है जिसमें कम-से-कम 25 रजिस्टर्ड परिवारों के प्रतिनिधि शामिल होने चाहिए। रोज़गार दिवस का आयोजन होने पर, ग्राम पंचायत, नए आवेदन स्वीकार कर सकता है और दिनांकित रसीद जारी कर सकता है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए नरेगा (NREGA) योजना के प्रावधान क्या हैं ?
जिन वरिष्ठ नागरिकों को छोड़ दिया गया है या जिनका परिवार उनकी देखभाल नहीं करता है, ऐसे वरिष्ठ नागरिक भी मनरेगा (MGNREGA) योजना के तहत नामांकित हो सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों को मजदूरों की स्पेशल केटेगरी में शामिल किया जा सकता है। ग्राम पंचायत, स्पेशल वरिष्ठ नागरिक ग्रुप बना सकते हैं और सुनिश्चित कर सकते हैं कि उन्हें मिलने वाले काम के लिए कम शारीरिक मेहनत की जरूरत पड़ती है।
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